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तिरुपति लड्डू विवाद: धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

तिरुपति लड्डू विवाद: धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

 

नई दिल्ली:तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू में पशु वसा के कथित इस्तेमाल को लेकर एक विवादित मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुँच गया है। यह याचिका एक वकील द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि लड्डू बनाने में इस सामग्री का उपयोग हिंदू धार्मिक प्रथाओं का उल्लंघन है और भक्तों की भावनाओं को गहरा ठेस पहुँचाता है।

तिरुपति लड्डू विवाद: धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

याचिका का मुख्य बिंदु

याचिकाकर्ता सत्यम सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि लड्डू में पशु वसा की मौजूदगी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा प्रबंधित मंदिर में बड़े व्यवस्थागत मुद्दों का लक्षण है। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया है कि वह हिंदू धार्मिक प्रथाओं की पवित्रता की रक्षा करे और मंदिरों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करे।

राजनीतिक तीर-तलवार

यह विवाद तब तेज हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के तहत तिरुपति मंदिर में ‘प्रसाद’ के रूप में दिए जाने वाले लड्डू में पशु वसा का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद, आंध्र प्रदेश सरकार ने एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें लड्डू के घी में गोमांस की चर्बी, मछली का तेल और सूअर की चर्बी के अंश पाए जाने का दावा किया गया।

संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि लड्डू में पशु वसा का उपयोग करने का कथित कृत्य संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने का अधिकार सहित धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। याचिकाकर्ता ने यह भी उल्लेख किया है कि सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में आवश्यक धार्मिक प्रथाओं की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की प्रतिक्रिया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले पर मुख्यमंत्री नायडू से “विस्तृत रिपोर्ट” की मांग की है। भाजपा और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने पशु वसा के उपयोग को “अक्षम्य पाप” करार दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बंदी संजय ने संकेत दिया कि ऐसा इसलिए हुआ होगा क्योंकि टीटीडी बोर्ड में “अन्य धर्मों के कुछ लोग शामिल थे।”

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वाईएसआर कांग्रेस का पलटवार

इस बीच, वाईएसआर कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इसे “ध्यान भटकाने की रणनीति” बताया। उन्होंने कहा कि यह टीडीपी द्वारा फैलाए गए झूठे दावों का हिस्सा है। वरिष्ठ वाईएसआर कांग्रेस नेता वाईवी सुब्बा रेड्डी, जो चार वर्षों तक टीटीडी के अध्यक्ष रहे, ने नायडू पर आरोप लगाया है कि उनकी टिप्पणियाँ तिरुमाला की पवित्रता को नुकसान पहुँचा रही हैं।

भक्तों की आस्था को ठेस

वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को बहुत नुकसान पहुँचाया है। उनकी टिप्पणी बेहद दुर्भावनापूर्ण है। कोई भी व्यक्ति ऐसे आरोप नहीं लगाएगा।

अंत में

इस विवाद ने धार्मिक आस्था और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के बीच की जटिलताओं को उजागर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या निर्णय लेता है और क्या तिरुपति लड्डू की पवित्रता बरकरार रखी जा सकेगी। भक्तों की भावनाएँ इस विवाद के केंद्र में हैं, और उनके विश्वास की रक्षा करना सर्वोपरि है।

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